Interview : समंदर सिंह खंगारोत, प्रख्यात चित्रकार
कला के समंदर का "सागर"
राजस्थान के जयपुर की तकरीबन हर ओवर ब्रिज और पुलिया को अपनी क्रिएशन से संवारने वाले समंदर सिंह खंगारोत उर्फ सागर पहचान के मोहताज नहीं है। करीब 62 बसंत देख चुके सागर के अनेक पहलू फिलहाल अछूते है। सागर प्रदेश के एकमात्र कलाकार भी है, जिनकी कलाकृतियों की इंग्लैंड में वर्ष 1993 से 1996 तक ट्रेवल एग्जिबिशन हुई और समूचे इंग्लैंड में दिखाई गई। मार्च 1996 से जून 2002 तक राजस्थान ललित कला अकादमी में बतौर सचिव के पद पर रहे खुशमिजाज सागर के साथ एक गरम चाय।
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ek garam chai interview with Artist Samandar Singh Khangarot |
मेरा जन्म सांभर के खंडेल गांव में वर्ष 1952 में जागीरदार परिवार में हुआ। साइंस का स्टूडेंट था। जब सन 1971 में साइंस का चमत्कार थीम पर स्टेट लेवल कॉम्पिटिशन हुआ, तब मैं दरबार स्कूल का स्टूडेंट था। मेरे दिमाग के भीतर वहीं सब चल रहा था। छह बॉय चार के हार्ड बोर्ड पर कल्पना करके यह बनाया की आखिर चन्द्रमा पर आदमी कोई रहेगा तो कैसे रहेगा। इस काल्पनिक चित्रण के लिए पूरे प्रदेश में पहला प्राइज मिला। इसी के कारण मेरा नाम छा गया और स्कूल ऑफ आर्ट में भी प्रवेश लेने में यही प्राइज सहायक बना।
- 18 घंटें काम किया और भूख हड़ताल भी
मैं 18 घंटे काम करता था। वर्ष 1972 में चारदीवारी स्थित बाल शिक्षा मंदिर स्कूल में नर्सरी क्लास के बच्चों को अस्सी रूपए मासिक की तनख्वाह में पढ़ाया। तब चपरासी का वेतन भी मुझसे ज्यादा था। वर्ष 1973 में मेरा थर्ड ईयर हुआ तो मैनें ग्रेड की मांग की, तो पता चला की स्कूल ऑफ आर्ट का तीन वर्षीय डिप्लोमा को मान्यता ही नहीं है। नतीजा स्कूल ऑफ आर्ट में अपने दम पर यूनियन को खड़ा किया और महीनों तक हड़ताल की। आखिरकार 1976 में छह दिन तक भूख हड़ताल पर बैठा। सरकार को सुध लेनी पड़ी और हमारे तीन साल के डिप्लोमा को मान्यता मिली, तब जाकर मेरी तनख्वाह ढाई सौ रूपए हुई।
- पिताजी को कैंसर तो छोड़ा एनआईडी
मेरे डिप्लोमा और डिग्री को मान्यता मिलने के बाद वर्ष 1976 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन अहमदाबाद में मेरा सलेक्शन हो गया। तब पता चला कि पिताजी को कैंसर है। बस एनआईडी को छोड़ा और पिताजी को पकड़ा। फिर यहीं काम किया और पढ़ाई भी। इसी का परिणाम रहा कि वर्ष 79 में डिप्लोमा और डिग्री के आधार पर प्रदेश के स्कूली शिक्षा में सीनियर टीचर के पद पर पहली नियुक्ति मेरी थी। इतनी खुशी हुई कि चेकोस्लावाकिया की कम्पनी की जावा मोटरसाइकिल खरीद ली, जो आज भी मेरे पास है।
- जयपुर से जापान की भरी उड़ान
एक परिचित के जरिए जापान में वर्ष 1985 में 45 मिनिएचर पेंटिंग की एग्जिबिशन लगाना तय हुआ। क्या पता जापान में पेंटिंग बिके या नहीं, यहीं सोचकर आयोजक से यहीं लेन-देन की बात कर ली। आयोजक ने मेरी 20 पेंटिंग को 60 हजार रूपए में खरीदा तो मैंने खुशी खुशी जापान की उड़ान भरी और टोक्यो की एक नामी कला दीर्घा में मेरी एग्जिबिशन को जोरदार रेस्पोंस मिला। पर अधिकांश पेंटिंग्स कॉपी वर्क थी, कला प्रेमी आते और खूब तारीफ करते। इस पर दिल में दर्द होता। जैसे ही जापान से जयपुर से आया तो फटाफट कॉपी वर्क का कारखाना बंद किया और कला के समंदर में सागर की तलाश शुरू कर दी।
- दो दर्जन से ज्यादा पुरस्कार
कला के सफर के दौरान सागर को करीब दो दर्जन से अधिक पुरस्कारों से सममानित किया गया। वर्ष १९76 में बुद्धम शरणम गच्छामि क्रिएशन के लिए राजस्थान ललित कला अकादमी का स्टेट अवार्ड तो वर्ष १९76 में ही ऑल इंडिया लेवल का आईफेस अवार्ड दिल्ली मिलना भी प्रमुख है। इसके साथ ही अनेकों बार राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर भी सरकार की ओर से इन्हें सम्मानित किया गया। सागर के प्रस्ताव पर ही राज. ललित कला अकादमी को झालाना में जमीन आवंटित की गई थी, जिस पर वर्तमान में तकरीबन ७ से अधिक अकादमियों के कार्यालय है।
- पद्मश्री की साख पर उठाए सवाल
सागर के अनुसार अब सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान की साख गिर गई है। यहीं कारण है कि बीते वर्ष अनेक फोन आए, जिन्होंने सात लाख से दो लाख रूपए में पद्मश्री जैसे सम्मान की सौदेबाजी की बात की। सरकार को ऐसे पुरस्कारों की साख बनाकर रखनी चाहिए और परखकर कलाकारों को सम्मानित करना चाहिए। तब ही सही मायनों में कला का सम्मान होगा।
- ... बाकी है जिन्दगी का बेस्ट क्रिएशन
फिलहाल दस दिशाओं के दस दिग्पाल पर चित्रांकन कर रहा हूं। यह मेरी जिन्दगी की सबसे बेस्ट क्रिएशन होगी। साथ ही रामायण पर भी 12 पेंटिंग बना रहा हूं। जबकि उभरते कलाकारों को मिनिएचर की बजाए क्रिएटिव मिनिएचर आर्टिस्ट बनाने के लिए भी प्रयासरत हूं।
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यह है जयपुर में बेमिसाल प्रोजेक्ट
- - गुर्जर की थड़ी अंडर पास। देश का सबसे बड़ा म्यूरल आर्ट।
- - पिकॉक गार्डन में विश्व का पहला मोर का बारह मासा बनाया।
- - सहकार भवन पर क्रिएशन की।
- - आगरा रोड टनल में आर्ट वर्क बनाया।
- - अनुपम जयपुर योजना के तहत जयपुर की छह पुलिया अपनी क्रिएशन से संवारी।
- - सांगानेर पुलिया पर हाडौती तो अजमेर पुलिया पर मारवाड़ कल्चर का क्रिएशन किया।
- - बाईस गोदाम पुलिया को मारवाड़, मेवाड़, हाडौती और ढूंढाड़ की कला से सजाया।
Want contact no of Samndur Singh Ji Khangarot
ReplyDeletemy mail id rathore.jaipur@gmail.com
contact no. : 9314088833
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