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Saturday, March 21, 2015

Ekgaramchai with Woman Empowerment : A Special feature on Empowerment

 सोशलाइट्स बनी वीमंस


एन्टरप्रेन्योरशिप में हाथ आजमाने के बाद अब महिलाओं ने समाजिक सरोकार की जिम्मेदारी भी उठाई है। फैमिली की देखभाल और रिश्तों की मजबूत डोर को सहेंजे हुए महिलाएं इन दिनों हर क्षेत्र में पुरुषों के वर्चस्व को कड़ी चुनौती दे रही है। न सिर्फ उन्होंने घर के साथ-साथ सोसाइटी मेम्बर्स को जागरूक करने की पहल की है, बल्कि देश में हो रही दुर्घटनाओं और सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए कदम भी आगे बढ़ाया है।

ekgaramchai talk with anjana jain, social activist

हैल्थ इज वैल्थ

 देशभर में अनेक व्यक्ति ऐसे है, जिन्हें आंखों से दिखाई नहीं देता और कानों से सुनाई नहीं देता। ऐसे ही व्यक्तियों के लिए अंजना जैन बीते 25 वर्षों से काम कर रही है। अमूमन अधिकांश लोग जहां समाज सेवा को लाइम लाइट का हिस्सा मानते है, वहीं अंजना परदे के पीछे इस काम को करना पसंद करती है। वर्ष 1997 में लॉयन्स क्लब से जुड़कर समाजसेवा का बीड़ा उठाया।  असहाय लोगों की सूची बनाकर विभिन्न स्थानों पर निशुल्क हैल्थ कैम्प लगाएं और इनकी रिपोर्ट अमेरिका स्थित लॉयन्स क्लब के हैड ऑफिस को भेजी। इससे इंडिया और अमेरिका के विभिन्न संगठन लॉयन्स क्लब की तर्ज पर काम करने लगे। उनके हैल्थ कैम्प के जरिए करीब पांच हजार से अधिक लोगों की जिन्दगी में सुधार हुआ है। क्लब में राजस्थान और मध्य प्रदेश ब्रांच की गर्वनर रह चुकी अंजना को दिल्ली में इंदिरा गांधी प्रियादर्शनी अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।



ekgaramchai talk with prerna singh, social activist

जिन्दगी अनमोल है

सड़कों पर आए दिन हो रहे हादसों के कारण न जाने कितनी अनमोल जिंदगी अपनों से बिछड़ जाती है। कितनों की उम्मीदें टूट जाती है। इसके बावजूद भी हादसों से सबक नहीं लिया जाता है, लेकिन इन्हीं हादसों से सबक लेकर बीते कई सालों से सड़क दुर्घटना के प्रति जागरूकता की अलख जगा रही है टोंक फाटक निवासी प्ररेणा सिंह। उन्होंने पीपुल्स ट्रस्ट के  नाम से एनजीओ खोला और हसबैंड राज को भी इसमें शामिल किया। मकसद पैसा कमाना नहीं, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में आपात स्थिति में क्या किया जाए, इसके प्रति अवेयरनेस जगाना रखा। वर्ष 2003 में अपनी एमबीए कि डिग्री हासिल करने वाली प्रेरणा ने रूरल डवलपमेंट,डिजास्टर मैनेजमेंट एंव पोस्ट ट्रॉमा केयर में डिप्लोमा भी लिया। उन्होंने कनाडा की स्वंय सेवी संस्था हार्ट एण्ड सेरोके फाउन्डेशन में काम किया. यहीं कारण है कि बीते 11 सालों में 150 से अधिक स्कूल, कॉलेज सहित विभिन्न स्थानों पर सड़क हादसों के प्रति अवेयरनेस जगाने के लिए अवेयरनेस कैम्पेन चला चुके है. प्रेरणा को 12 से अधिक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय अवार्ड भी मिल चुके है।



ekgaramchai talk with Alka Shah, social activist

बालमन का "आलिंगन" 

बालमन की अठखेलियों से मोहब्बत करने वाली अल्का शाह का पहला प्यार बच्चें ही है। ऐसे में जब असहाय बच्चों को समाज से दूर किया जाए, तो हमेशा वह उन बच्चों की सहयोगी के रूप में उभरी है। फिलहाल एचआईवी पॉजिटिव बच्चों के लिए कार्यरत "आलिंगन" संस्था से जुड़कर तकरीबन 53 बच्चों के लिए वह पेरेन्ट्स की भूमिका निर्वाह कर रही है। यह बच्चें उनके परिवार का हिस्सा है। अगर बच्चों से समाज में एचआईवी के नाम पर भेदभाव बरता जाता है, तो आंदोलन का बिगुल भी वह छेड़ चुकी है। प्रदेश के विभिन्न निजी एवं गवर्नमेंट स्कूल्स एवं कॉलेजों में अल्का की ओर से विभिन्न सेमीनार एवं कार्यक्रम किए गए है। इनमें खास तौर पर बताया गया कि एचआईवी पॉजिटिव बच्चें समाज का अभिन्न अंग है। इन्हीं प्रयासों की बदौलत उन्हें वर्ष 2011 और 2012 में सोशल सर्विस अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

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